मासिक धर्म स्वच्छता एक ऐसा विषय है जिसे आज भी हमारे समाज में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता। जब बात स्वच्छता उत्पादों की आती है, तो अधिकतर महिलाएं नॉर्मल पैड्स (डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन) का उपयोग करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इनका हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर कितना प्रभाव पड़ता है?
UDGI Foundation का उद्देश्य महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरूक करना और उन्हें स्वच्छ, टिकाऊ, और पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों के बारे में शिक्षित करना है। इस ब्लॉग में हम रीयूज़ेबल पैड्स के फायदे और उनके उपयोग की जरूरत पर बात करेंगे।
नॉर्मल पैड्स: पर्यावरण पर असर
डिस्पोजेबल पैड्स प्लास्टिक और केमिकल्स से बने होते हैं, जो इस्तेमाल के बाद कचरे में बदल जाते हैं। यह कचरा:
- 500-800 साल तक नष्ट नहीं होता।
- पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाता है।
- इसके जलने से खतरनाक गैसें उत्पन्न होती हैं।
भारत में हर साल लगभग 12 बिलियन सैनिटरी नैपकिन कचरे में बदल जाते हैं। यह कचरा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इसे सुरक्षित तरीके से नष्ट करना भी एक चुनौती है।
रीयूज़ेबल पैड्स: बदलाव की शुरुआत
रीयूज़ेबल पैड्स कपड़े से बने होते हैं, जो धोने योग्य और बार-बार उपयोग किए जा सकते हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और बजट के लिए भी बेहतर विकल्प हैं।
फायदे:
- पर्यावरण-अनुकूल:
यह प्लास्टिक-फ्री होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते। - लंबे समय तक उपयोग:
एक रीयूज़ेबल पैड 2-3 साल तक उपयोग में लाया जा सकता है। - स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित:
यह केमिकल-फ्री होते हैं, जिससे रैशेज और एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। - कम खर्च:
यह नॉर्मल पैड्स के मुकाबले सस्ता और दीर्घकालिक विकल्प है।
UDGI Foundation का प्रयास
हमने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को रीयूज़ेबल पैड्स के महत्व और उनके उपयोग के बारे में जागरूक करने के लिए कई कार्यशालाएं और जागरूकता अभियान शुरू किए हैं। हमारा लक्ष्य:
- मासिक धर्म को एक सामान्य चर्चा का विषय बनाना।
- महिलाओं को सुरक्षित और स्वच्छ विकल्प उपलब्ध कराना।
- पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना।
हमारी ‘Menstrual Hygiene Management (MHM) Awareness Program’ के तहत, अब तक 5,000 से अधिक महिलाओं को शिक्षित किया गया है और 2,000 से अधिक महिलाओं को रीयूज़ेबल पैड्स वितरित किए गए हैं।